Monday 16 May 2016

अच्छा बोलते हो...

तुम अच्छा बोलते हो,
यह जो तुम बोलते हो, मैं भी बोलूँगा,
कुछ वक़्त गुजरने के बाद,
मैं अच्छा बोलता हूँ,
तुम भी ठीक ही बोलते हो, तुम मेरी तरह बोलो,
मैं बदल सकता हूँ, लेकिन तुम नहीं,
वक़्त के साथ मैं सबसे अच्छा बोलूँगा,
तुम कुछ और नहीं बोल सकते,
तुम्हे अब यही बोलना पड़ेगा,
अगर नहीं,
तो तुम कुछ अच्छा नहीं बोलते,
तुम बुरे हो,
बुरे लोग जिंदा नहीं रहते,
मैं अच्छा हूँ,
मैं तुम्हे मारूँगा और सबसे अच्छा बन जाऊँगा...

Friday 1 April 2016

तर्कों का सच

चलो सही गलत की लड़ाई करते हैं
क्या मिलेगा, पता नहीं
थोडा सुकून, अहंकार की पूर्ति 
तर्कों की झूठी जीत
अगर यही है इसका परिणाम
तो नहीं जानना सही को
गलत जैसा कुछ होता नहीं
मैंने अपना जीवन जिया है
मेरा सच मेरा जीवन है
मेरा सच मेरा नजरिया है
मेरा सच मेरा अनुभव है
मेरा सच मेरी कमियां है
मेरा सच मेरी महत्वकांक्षाएं है
मेरा सच मेरे सपने है
मेरा सच मेरी ज़रूरतें हैं
मेरा सच मेरी चाहतें हैं
मेरा सच मेरा मन की तृप्ति है
इन्ही सब चीज़ों से मेरा सच बना है
तो सबका सच अलग-अलग हुआ
सच और हकीक़त कुछ अलग है
झूठ क्या है, मालूम नहीं
तर्कों की जीत ही अगर सत्य है 
तो पता नहीं मैं क्या कर रहा हूँ
मेरा सच सिर्फ मैं हूँ
और वो भी हैं, पर जैसा मैं उन्हें देखता हूँ
नहीं करनी यह सच-झूठ की लड़ाई
जीत किसी की भी हो, हारता मैं ही हूँ....